सोमवार, 27 जुलाई 2020

कौन गलत है??

कौन गलत है??

“मैं राघव भगवान को साक्षी मान कर जो भी कहानी सुनाने और बताने जा रहा हूँ ,वो सत्य  पर आधारित है”|

  एक गावं में एक छोटा सा लड़का अपने परिवार के साथ रहता है , उस परिवार को गावं में बहुत नामी और अच्छा माना जाता है|

 उस छोटे से लड़के को समय को देखते हुए पढ़ने के लिए माँ से अलग कर उसकी बड़ी माँ के पास भेज दिया जाता है ,वह लड़का माँ से अलग हो कर कुछ दिन बहुत दुखीं रहता है |

  उसका दाख़िला क़स्बे के हिंदी माध्यम के स्कूल में करा दिया जाता है , जब वह पहले दिन गावं का वो छोटा लड़का स्कूल पहुँचता है ,उसके स्कूल में दोस्त बनते है और वह धीमें-धीमें माँ की लोरियों को भूल कर पढ़ने में व्यस्थ हो जाता है |

    और अब उसका छोटा भाई भी स्कूल में दाख़िले लायक हो जाता है , तभी उसकी माँ एक दिन गावं छोड़ कर छोटे भाई को लेकर उस छोटे लड़के पास आ जाती हैं |

     क्योंकि अब उसके छोटे भाई को भी पढ़ना हैं ,वह छोटा लड़का अब बहुत खुश रहने लगता है |

    और अब वह प्रथम श्रेणी से पांचवी पास कर लेता है और उसका दाख़िला अब हिंदी माध्यम के बड़े स्कूल में होता है वह उस स्कूल में मेधावीं छात्रों में गिना जाता है ,अब वह आंठवी कक्षा में पहुचं जाता है और आंठवी कक्षा को भी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर लेता है |

    उसका परिवार एक संगठित परिवार है, तभी उसके पिता जी को उसके ताऊ के बड़े लड़के ने सलाह दी की आप अपने बड़े लड़के को हिंदी माध्यम से अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में कक्षा नौवीं में दाख़िला करा दे उसके पिता जी अपने लड़के से बिना पूछे उसका दाख़िला अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में करा दिया |

   अब वह हिंदी माध्यम का छात्र अंग्रेजी माध्यम स्कूल पहुंचा ,जहाँ उसे कुछ भी समझ नही आया |लेकिन अब क्या हों सकता था जब उसका दाख़िला ही हो चुका था ,वह मेधावीं छात्र अब उस स्कूल में कमजोर छात्रों में गिना जाने लगा और वह कक्षा दशवीं में पंहुचा और उसे बहुत कठिन परिश्रम करके जैसे-तैसे दशवीं उत्तीर्ण कर लिया |

     अब वह कक्षा बारहवीं में पंहुचा और विषय गणित में फ़ैल हो गया , अब वह बहुत ज्यादा अन्दर से टूट गया और तभी उसके पिता जी को किसी ने दसवीं के बाद पॉलिटेक्निक में दाख़िले की सलाह दी | लेकिन उसने उसी महीने गणित विषय के पेपर के लिए कम्पार्टमेंट फॉर्म भरा और उसे कड़ी मेहनत करके जैसे तैसे उसे भी उसी समय पास किया और द्वितीय श्रेणी से बारहवीं उत्तीर्ण की और उसने अपनी साल बर्बाद होने से बचाई |

    अब उसके पिताजी ने उसे पॉलिटेक्निक में दाख़िले के लिए उसे घर से बहुत दूर एक अनजान शहर में भेजा और दाख़िला करा दिया | उस कॉलेज में पॉलिटेक्निक हिंदी माध्यम से पढ़ाया जाता है ,अब वह और ज्यादा परेशान रहने लगा और फिर उसे प्रथम वर्ष की परीक्षा दी और वह दो विषयों में फ़ैल हो गया उसके घर वालो और रिश्तदारों ने उसे बहुत डाटा |

    उसने कम्पार्टमेंट भर कर उसे भी पास किया और तभी रक्षाबंधन का त्यौहार आया तो उसने अपने घर फ़ोन कॉल किया और कहा माँ मेरे सारे क्लासमेट और हॉस्टल के लोग रक्षाबंधन की छुट्टियों में घर जा रहे हैं , तो उसकी माँ ने कहा मैं तुम्हारे पिताजी से पूछ कर बताती हूँ , और कुछ समय बाद उस लड़के के मोबाइल फ़ोन में एक घंटी बजीं और वह बहुत उत्तशाह के साथ उसने कॉल को पिक किया और उसकी माँ ने बोला की बेटा तुम वही बगल के शहर में बुआ के यहाँ चले जाओ ,उसका सारा उत्तशाह एक गम में बदल गया और वह बुआ के छुट्टी बिताने चला गया |

और तभी वह द्वितीय वर्ष में पंहुचा और उसने द्वतीय वर्ष की परीक्षा दी और फिर एक विषय में फ़ैल हो गया, फिर उसे उसके घर वालों  और रिश्तदारों से डाट मिली और वह कम्पार्टमेंट एग्जाम दे कर उस विषय को पास कर लिया |और फिर कोई त्यौहार आया फिर उसे बुआ के यहाँ जाने को बोल दिया गया |

    अब वह तृतीय वर्ष में पहुचं गया उसने कड़ी मेहनत करके बिना किसी विषय में फ़ैल हुए पॉलिटेक्निक डिप्लोमा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर लिया |

  तभी वह अपने मित्र के साथ पास के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में जॉब के लिए गया उसे वहां पर पुस्तकालय विभाग में असिस्टेंट के पद के बारे में बताया और वह पता करके वापस अपने पॉलिटेक्निक कॉलेज आ गया और उसने फिर शाम में अपने घर फ़ोन कॉल किया , उसने सारी बात बतायी तो  उसकी माँ ने कहा नहीं कोई नौकरी नहीं करनी तुम घर आ जाओ पिताजी से बात करना |

     वह सारा सामान लेकर वापिस अपने घर आ गया , उसने अपने घर वालो से कहा की उसे पॉलिटेक्निक के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी करनी है तभी उसके पिता जी बोले की डिप्लोमा मायने नहीं रखता डिग्री जरुरी होती है |

  अगले दिन पिताजी ने ताऊ जी के बड़े लड़के से बी.टेक करवाने की सलाह ली, और ताऊ जी के लड़के से पुछा की इंजीनियरिंग कॉलेज में दाख़िला करवाने का क्या प्रोसेस है, तभी उस लड़के ने अपने कानों से सारी  बातें सुन ली |

      फिर उस ने अपने पिता जी को इंजीनियरिंग कॉलेज में दाख़िला के उस एग्जाम के बारे में बताया ,और उसने अपने उस एग्जाम का रिजल्ट दिखाया और बताया की उसके इतने मार्क्स है की उसे कोई भी प्राइवेट इंजीनियरिंग संस्था में दाख़िला मिल जायेगा |

    फिर उसके पिताजी ने उसे काउंसिलिंग के लिए भेजा और उसे एक अच्छे शहर का एक कॉलेज मिला लेकिन उसके पिताजी को किसी ने फिर सलाह दे दी की वह उसे किसी पास के कॉलेज में दाख़िला दिलाएं तो उसके पिता जी ने उसे फिर   भेजा   उसे                रि-काउसिलिंग कराने और पास का कॉलेज के लिए बोला उसने वैसा ही किया ,और उसे अपने घर के पास के शहर में एक कॉलेज मिल गया |

      फिर उसे उस अंग्रेजी माध्यम कॉलेज में बी.टेक में द्वितीय वर्ष में (पॉलिटेक्निक डिप्लोमा दिखा कर )दाख़िला करा दिया गया और उसे उसी कॉलेज के हॉस्टल में रूम दिला दिया गया तभी कुछ दिनों बाद उस कॉलेज के हॉस्टल के खाने से उसके पेट जलन शुरु हो गयी फिर वह और ज्यादा दुखी और तकलीफ में रहने लगा और फिर उसने द्वितीय  वर्ष की परीक्षा दी और वह यहाँ भी दो विषयों में फ़ैल हो गया ,वह बहुत उस दिन अपनी जीवन के सारे पलों को याद कर बहुत रोया और घर कॉल किया और उसने माँ से कहा की उसे बी.टेक नहीं करना तो उसके पेरेंट्स ने समझा-बुझा कर वही पुरानी बात उसके सामने दोहराई की डिप्लोमा मायने नहीं रखता डिग्री जरुरी होती है ,वह बेचारा शांत होकर गुमशुध हो गया|

 

     तभी उसके साथ के कुछ क्लासमेट बाहर रूम रेंट पर लेने की योजना बनाने लगें ,फिर उसने ये बात उसने अपने घर वालों को बताई और वह बाहर रूम लेकर रहने लगा |

    उसी बीच वह किसी त्यौहार में अपने घर आया तभी उसे अपने नाना की त्रियोदशी में उसे अपनी माँ के साथ अपने ननिहाल जाना पड़ा , वहां उसे बहुत लोग मिले वहां पर बहुत सी बातें हुई और उसकी नजर उसके गरीब मामा के लड़के पर गयी तो उस लड़के के दिमाग में एक बहुत क्रियटिव विचार आया  उसने उस विचार को सबके सामने रखा क्योकि वह सोचता था की इस विचार से शायद उसके ननिहाल की ग़रीबी दूर हो सके और उसने अपने मामा के लड़के को अपने पास काम के सिलसिले में आने को कहा|

      और वह वापिस से छुट्टिया खत्म होते ही रूम पर पंहुचा, और उसने अपने मामा के लड़के को उस काम क लिए कुछ रुपये ले कर आने को कहा और कुछ दिन के अन्दर उसके मामा का लड़का आ गया |

      उसने अपने मामा लड़के को सारा काम समझा दिया और उसको उस काम को शुरूं करने खर्च भी बताया तभी उसके पास कुछ रुपयें कमी निकली तो उसने उससे उधार के रूप में  उसको कम रुपयें पूरे किये और उसका काम शुरु करवाया ,उसके विचार और उसकी मेहनत की वजह से काम अच्छा चलने लगा |

     तभी उसके मामा के लड़के ने उसको अपने मन से कहा की आप की वजह से ये काम चालू हुआ है तो मैं चाहता हूँ जो आपने उधार रुपयें दिए थे उसको देखते हुए आपको इस काम के लाभ का 20% दूंगा , 

यह बात सुन कर वह बहुत खुश हुआ और उसने सोचा क्योना हर महीने मामा के लड़के को १ लाख का फायदा कराया जिससे उसके 20% के मुताबिक २००००रुपये मिलते रहेंगे , उसने मामा के लड़के के काम में अच्छे से मदद की और उसका काम बहुत तेजी से बढ़ने लगा और जब 20% देने का समय आया तो  उसके मामा के लड़के ने अब चाल चली और अपने पापा को बुला लिया |

     वह बेचारा यह सब देख कर निरास हो कर अपने रूम में लेट गया , कुछ देर उसके मामा का लड़का आया और चालपूर्वक बोला की पापा बोल रहे है की बिना काम के 20% नही दे पायेंगे ,यह बात कह कर वह चला गया |

     उसने अब अपनी माँ को सारी बात बताई उसकी माँ ने वहां से दूर रहने को कहा वह वहां से अब दूर रहने चला गया लेकिन उसके मामा के लड़के ने फालतू बातें फैलाना शुरु कर दिया लेकिन फिर भी उसने कुछ भी नही कहा किसी को , और अब वह तृतीय वर्ष के एग्जाम में भी कुछ विषय में फ़ैल हो गया और उसने अपने माँ को बताया तो उसकी माँ ने कैसे भी कर के डिग्री करो |

   वह अपने क्लासमेट की मदद से जैसे तैसे तृतीय वर्ष से चतुर्थ वर्ष(फाइनल इयर) में पंहुचा और क्लासमेट की मदद से बी.टेक की डिग्री प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की |

       अब उसके पिता जी को किसी ने गेट एग्जाम की सलाह दे दी ,तो अब उसके पिताजी ने उसे गेट की तैयारी करने के लिए बोला – और उसने गेट की कोचिंग में दाख़िला ले लिया और साथ में उसे एक प्राइवेट कंपनी से बी.डी एग्जीक्यूटिव के पद में जॉब ऑफर हुई और उसने अपनी माँ को बता कर जॉब स्वीकार कर ली |

    अब उसने गेट का एग्जाम दिया लेकिन वह फ़ैल हो गया , तब उसके पिताजी को किसी ने जे ई इंजिनियर की सलाह दे दी तो उसके पिता जी ने उसको एसएससी जे ई की कोचिंग में दाख़िला लेने को कहा और उसने दाख़िला ले लिया ,वह दिन प्रतिदिन टूटता चला गया |

   तभी उसी बीच उसके मामा के लड़के की कॉल आई और वह बोला की जरा बताना की यहाँ अच्छा बाज़ार कहा हैं क्योकि उसे पहनने के लिए कीमती कपड़े लेने थें |

        वह बात करके लेट गया और सोचने लगा की मेरी सलाह और विचार से किसी के जीवन में परिवर्तन हो सकता है तो मेरे क्यों नही , और अगले सुबह अपने आस पास घूमने निकल गया और देखा और कुछ गरीबों से मिला तभी उस लड़के को एक गरीब परिवार मिला |  

          और उनको अपने मन की बात बताई और उनके सपोर्ट से उसने अपने मामा के लड़के से अच्छा काम शुरु किया तभी उसके मामा के लड़के को पता चला तो उसने उसकी शिकायत अपनी बुआ से यानि मेरी माँ और पिताजी से की और मेरे खिलाफ फालतू की बातें दिमाग में डाल दी और उनके अन्दर उनके लड़के के प्रति नफरत पैदा करा दी |

         वह लड़का बहुत ही साफ़ दिल का था और दुसरो की मदद करने वाला था लेकिन इन सभी बातों से वह अब पत्थर दिल बनता चला गया |

    और एक दिन उसके माँ – पिताजी ने उसे दुसरे शहर फिर से कोचिंग करने भेज दिया ,और वह वहां से दुसरे शहर चला गया अब कुछ ही दिन हुए थे की मामा के लडके की कॉल आई और उसने बात को इस प्रकार कही की उसके अन्दर रुपये कमाने का कीड़ा फिर से जाग गया और उसने इन्टरनेट का सहारा लेते हुए एक लायकी  एप्प डाउनलोड किया और एक शुरुवात की और उसमे उसकी मुलाकात एक सर से हुई और वह उस एप्प में इन्वेस्ट करने में लग गया और कर्ज में डूबता चला गया जब यह बात उस लड़के के पिताजी को पता चली तो उसके पिता जी ने उसका कर्ज चुकाते हुए उसका फ़ोन छुड़ा लिया और उसको हमेसा के लिए एक ही बात कहने के लिए घर पर रोक लिया की तूने मेरे रूपए डूबा दिया अब वह आज २८ वर्ष का पूरा हो गया है और २९ वर्ष में लग गया है उसने अपने परिवार वालो को अपने माँ को अपने भविष्य के विचार को बताया तब उसके पिताजी ने उसके विचार को उस लड़के की गलती को दोहराते हुए दबा दिया ...........और वह .... 

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